जेएनयू, Nit:
दिल्ली पुलिस ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में पांच जनवरी को हुई हिंसा के मामले में एक व्हाट्स एप ग्रुप से 37 लोगों को पहचानने की बात कही है. पुलिस का कहना है कि इन लोगों पर भी हिंसा में शामिल होने का शक है.
Delhi Police sources: 37 persons have been identified by Special Investigation Team (SIT) from the 60-member WhatsApp group 'Unity Against Left'. #JNUViolence— ANI (@ANI) January 11, 2020
दिल्ली पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने ‘यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट’ नाम के एक व्हाट्स एप ग्रुप की जांच की है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि इस ग्रुप में 60 लोग थे, जिनमें से 37 लोगों को चिन्हित किया गया है. जेएनयू हिंसा के बाद इस ग्रुप से जुड़े कई चैट सामने आए थे, जिनमें वामपंथी छात्र संगठनों को निशाना बनाने की बात कही गई थी.
हालांकि, दिल्ली पुलिस के सूत्रों का यह भी कहना है कि जिन 37 लोगों की पहचान की गई है, वे किसी वामपंथी या दक्षिणपंथी छात्र संगठन से संबंधित नहीं है. पुलिस का कहना है कि जिन लोगों की पहचान की गई है, वे सेमेस्टर पंजीकरण प्रक्रिया के पक्ष में थे और खुद का पंजीकरण कराना चाहते थे. लेकिन, वामपंथी संगठनों से जुड़े छात्रों का कहना है कि पुलिस इस मामले में एबीवीपी के छात्रों को बचाना चाह रही है. वामपंथी संगठनों का यह भी कहना है कि व्हाट्स एप ग्रुप ‘यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट’ के नाम से ही जाहिर है कि ये ग्रुप वामपंथी छात्रों पर सुनियोजित हमले के लिए बनाया गया था.
इससे पहले शुक्रवार को भी प्रेस क़ॉन्फ्रेंस कर दिल्ली पुलिस ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा के मामले में 9 लोगों के नाम बताए थे. इनमें जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष भी शामिल थीं. पुलिस के इस खुलासे पर कई संगठनों ने आपत्ति जताई है. उनका कहना था कि पुलिस अपनी जांच में सरकार के इशारे पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े लोगों को बचा रही है.
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