
नई दिल्ली, Nit.:
दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार गुरुवार शाम छह बजे थम गया। अब 8 फरवरी को दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे जबकि 11 फरवरी को वोटों की गिनती होगी। दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, भाजपा के विजेंदर गुप्ता और कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली समेत करीब 668 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
चुनाव आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली में सबसे ज्यादा 28 उम्मीदवार नई दिल्ली विधानसभा सीट से हैं, जबकि सबसे कम 4 उम्मीदवार पटेल नगर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। नई दिल्ली वही सीट है जहां से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनाव मैदान में हैं। पिछले बार के चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने इस सीट से जीत हासिल की थी। अब एक बार फिर वो इसी सीट से मैदान में उतरे हैं।
नामांकन भरने के आखिरी दिन केजरीवाल समेत करीब 200 उम्मीदवारों ने अपना पर्चा दाखिल किया। मध्य दिल्ली के जामनगर हाउस में नयी दिल्ली के निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में उम्मीदवारों की भारी भीड़ के चलते केजरीवाल को अपनी बारी के लिये छह घंटे से भी ज्यादा समय तक इंतजार करना पड़ा था।
बता दें कि 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 में से 67 सीटें जीतकर इतिहास रचा था, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने सिर्फ तीन सीटें हासिल की थीं तो कांग्रेस के खाते में कोई सीट नहीं आई थी। सात फरवरी को एक ही चरण में सभी 70 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई थी। वोटिंग के तीन दिन बाद यानी 10 फरवरी को नतीजे आए थे। नतीजों ने सभी को चौंका दिया था। अरविंद केजरीवाल की नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (AAP) ने रिकॉर्ड 67 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे।
बुनियादी सुविधाएं बड़ा मुद्दा
आरक्षित सीट वाली विधानसभाओं में पड़ने वाले इलाकों में बुनियादी सुविधाएं सबसे बड़ा मुद्दा है। इनमें कच्ची कॉलोनियां और जेजे कॉलोनी आती हैं। यहां के लोग अब भी सीवर, पानी जैसी सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं। यही कारण है कि बीजेपी इन सीटों पर कच्ची कॉलोनी पास किए जाने का मुद्दा भुना रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी का कहना है कि उसने इन इलाकों में पहले ही बहुत काम किया है।
आरक्षित सीट वाली विधानसभाओं में पड़ने वाले इलाकों में बुनियादी सुविधाएं सबसे बड़ा मुद्दा है। इनमें कच्ची कॉलोनियां और जेजे कॉलोनी आती हैं। यहां के लोग अब भी सीवर, पानी जैसी सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं। यही कारण है कि बीजेपी इन सीटों पर कच्ची कॉलोनी पास किए जाने का मुद्दा भुना रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी का कहना है कि उसने इन इलाकों में पहले ही बहुत काम किया है।
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