अधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का बचाव करें
इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने ट्वीट करके इस बारे में जानकरी दी है। संस्था ने अपने ट्वीट में बताया है कि धारा 144(5) के अंतर्गत आवेदन में हमने इसे चुनौती दी है। इसको अभिनव सेखरी ने तैयार किया है और अधिवक्ता ऋत्विक ने इसे दाखिल किया है। ऋत्विक नोएडा के निवासी हैं। संस्था ने ये भी ट्वीट किया है कि हम धारा 144 के तहत दिए गए आदेशों के विरूद्ध खड़े होने के लिए प्रतिनिधित्व उपलब्ध करा रहे हैं। कृपया इसे लोगों तक पहुंचाएं। अपने अधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का बचाव करें।
ऐप पर डाटा सुरक्षा और निजता भंग होने का विवाद
आरोग्य सेतु ऐप पर विवाद की सबसे बड़ी वजह डेटा की सुरक्षा और लोगों की निजता भंग होने की शंका है। इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि यह ऐप वैसे तो स्वास्थ्य का रास्ता बताई जा रही है लेकिन जैसा हमने आपको बताया कि जो इसे इंस्टाल नहीं करेगा उसके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई होगी। तो ये स्वास्थ्य का रास्ता है या जेल का? आरोग्य सेतु ऐप पर गृह मंत्रालय के निर्देशों को लेकर 45 संस्थाओं और 100 लोगों ने इसकी समीक्षा करने को कहा है।

हालांकि सरकार की तरफ़ से हर बार आरोग्य सेतु पर उठे सवाल के जवाब में बताया गया है कि यह एकदम सुरक्षित है और इससे किसी को किसी तरह का कोई खतरा नहीं है। लेकिन उसके बावजूद भी अगर ऋतिक के तर्कों को आप ध्यान से सुनें तो आपको ये तो सोचना होगा ही कि आख़िर कैसे सरकार किसी ऐप को इंस्टॉल न करने पर नागरिकों को जेल या जुर्माने का भय दिखा सकती है?
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