मथुरा-वृंदावन विधानसभा क्षेत्र से विधायक तथा योगी सरकार के प्रवक्ता और प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा का बिजली विभाग लॉकडाउन के चलते बेरोजगारी से त्रस्त उपभोक्ताओं को दोहरी मार दे रहा है।
अब ये सब किसी सोची समझी चाल के तहत किया जा रहा है या फिर नौकरशाही की रटी-रटाई कार्यप्रणाली के कारण हो रहा है, इसका जवाब तो अधिकारी ही देंगे अलबत्ता इससे बिजली विभाग में व्याप्त मनमानी का पता जरूर चलता है।
दरअसल, प्रदेश में अनलॉक की प्रक्रिया प्रारंभ होने के बाद से एक ओर जहां बिजली के बिलों की वसूली पर जोर दिया जाने लगा है वहीं बिल जमा न हो पाने पर विभाग ने कनेक्शन काटना भी शुरू कर दिया है।
बेशक बिजली के बकाया भुगतान की वसूली पर जोर होना चाहिए परंतु इसका यह मतलब नहीं कि विभागीय कर्मचारी अपने हाथ में आई सुविधा का दुरुपयोग कर उपभोक्ताओं को प्रताड़ित करने लगें।
गौरतलब है कि जब से बिजली के स्मार्ट मीटर लगे हैं और जब से ऑनलाइन बिलिंग सिस्टम शुरू हुआ है तब से बिजली विभाग के पास किसी का भी कनेक्शन काटने के लिए उसके ठिकाने तक जाने की जरूरत नहीं रह गई। संबंधित कर्मचारी वहीं बैठे-बैठे किसी भी उपभोक्ता का कनेक्शन काट सकता है।
यदि विभागीय व्यवस्थाएं दुरुस्त हों तो इसमें भी कोई परेशानी नहीं है किंतु विभाग का आलम यह है कि उपभोक्ताओं के मोबाइल नंबर पर न तो समय से बिल भेजे जा रहे हैं और न सही बिल भेजे जा रहे हैं।
यहां तक कि इस ऑनलाइन बिल में ऐसी कोई डिटेल तक नहीं भेजी जाती जिससे उपभोक्ता को पता लगता हो कि बिजली विभाग उससे किस-किस तरह के चार्ज वसूल कर रहा है।
बिजली विभाग से मोबाइल पर मिलने वाले बिल संबंधी मैसेज में मात्र कनेक्शन नंबर, अंतिम तिथि के साथ भुगतान की राशि लिखकर आती है।
मजे की बात यह है कि तमाम उपभोक्ताओं को यह मैसेज भी या तो भुगतान की अंतिम तिथि को ही मिलता है या कई बार ये तिथि भी बीत जाने पर भेजा जाता है। ऐसे में विभागीय कर्मचारी उसका अब कनेक्शन भी काटने लगे हैं।
विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रत्येक कनेक्शन की ऑनलाइन बिलिंग महीने की एक तारीख से लेकर अधिकतम 5 तारीख तक पूरी हो जाती है परंतु सब-कुछ कम्यूटराइज होने के बावजूद बिल का मैसेज समय से नहीं भेजा जा रहा।
कैसे पड़ती है दोहरी मार
अनुमान से अधिक बिल आने पर उपभोक्ता पहले तो सारे काम-काज छोड़कर उसे दुरुस्त कराने के लिए सक्षम अधिकारियों के पास चक्कर काटता है, और फिर जब बिल जमा करने पहुंचता है तो उसे पता लगता है कि कनेक्शन दोबारा चालू कराने के लिए उसे अतिरिक्त रुपए भी जमा कराने होंगे।
708 रुपए से लेकर 1050 रुपए तक की वसूली
उल्लेखनीय है कि बिजली विभाग ने सिंगल फेज कनेक्शन को फिर से जोड़ने के लिए 708 रुपए और थ्री फेज को री-कनेक्ट करने के 1050 रुपए निर्धारित कर रखे हैं। यह रकम जमा कराए बगैर कनेक्शन फिर से नहीं जुड़ सकता।
उदाहरण के लिए यदि किसी उपभोक्ता के एक किलोवाट के बिजली कनेक्शन पर उसका प्रतिमाह बिल आठ सौ या हजार रुपए आता है लेकिन यदि उसका कनेक्शन विभागीय लापरवाही से भी काट दिया जाता है तो उसे बिल के बराबर का भुगतान दोबारा कनेक्शन जुड़वाने के लिए देना होगा। इसी प्रकार थ्री फेज कनेक्शन को जुड़वाने के लिए 1050 रुपए देने होंगे।
यह हाल तो तब है जबकि योगी सरकार इन विषम परिस्थितियों में बिजली के बिल का भुगतान करने के लिए उपभोक्ताओं को तमाम सुविधाएं मुहैया कराने का दावा कर रही है।
क्या कहते हैं ऊर्जामंत्री के प्रतिनिधि ?
इस संबंध में जब ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के बड़े भाई और उनके प्रतिनिधि सूर्यकांत शर्मा से बात की गई तो उन्होंने विभागीय अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर बताया कि ऑनलाइन बिलिंग का काम किसी निजी कंपनी को सौंपा हुआ है लिहाजा अधिकारी सारी बातों का सत्यापन कराने के बाद बता सकेंगे कि ऐसा क्यों हो रहा है।
सूर्यकांत शर्मा का कहना था कि इस काम में लगी कंपनी को नियमानुसार उपभोक्ता के मोबाइल नंबर पर तीन मैसेज भेजने चाहिए ताकि वह अंतिम तिथि से पहले भुगतान कर सके। अंतिम तिथि के दिन और भुगतान की तिथि बीत जाने पर बिल भेजना किसी भी तरह ठीक नहीं कहा जा सकता।
उन्होंने कहा कि इस नियम का पालन क्यों नहीं किया जा रहा, इसकी भी जांच करवाकर कार्यवाही की जाएगी।
हालांकि आश्चर्य यह है इस तरह की अनेक शिकायतें ऊर्जा मंत्री के गृह जनपद मथुरा से भी मिल रही हैं, वो भी तब जबकि ऊर्जा मंत्री तक न सही लेकिन उनके प्रतिनिधि और बड़े भाई सूर्यकांत शर्मा तक मथुरा के लगभग हर व्यक्ति की पहुंच है।
ये बात अलग है कि बिजली विभाग में व्याप्त अंधेरगर्दी का ये तो एक उदाहरणभर है, बाकी अनेक अन्य समस्याएं ऐसी हैं जिनसे आम उपभोक्ता हर रोज रूबरू होता है।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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